GANGAUR GEET
तर्ज : इन हवाओं में इन फिजाओं में
गीतों के गाँवो में, सरगम की छाहों में -२
खुशियाँ मनाये, गायें तराने,
आवो-आवो रे, खुशियाँ मनाये, गायें तराने।।
मंजरियों की मुस्कानों ने, मधुपों को संदेश पठाये-२
मस्त तितलियों की बाहों में, फूलों ने रस-संग लुटाये।।
गंधो की चाहों में, रंगों की आहों में,
खुशियाँ मनाये, गायें तराने।।आवो-आवो रे।।
लहरें उमगी, चूम किनारे, मनचाही अठखेली करती-२
रुप तरणियाँ, भाव सिन्धु में अनचाही नित भटकी तिरती।।
बुद-बुद के दावों में, फेनों के घावों में -२
खुशियाँ मनाये, गायें तराने।।आवो-आवो रे।।
मानसरोवर के मानस को, मलय मोहिनी मोह रही है -२
मुक्त सीपियों की तृष्णायें, स्वाति क्षणों को जोह रही है।।
सपनों की नावों में, संगी बहावो में, -२
खुशियाँ मनाये, गायें तराने।।आवो-आवो रे।।
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